वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा

Sanjeev, Bindu (2024) वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा. मत्स्यगंधा अंक.14 जनवरी-जून 2024 (Matsyagandha January-June 2024) (14). pp. 39-41.

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Official URL: https://eprints.cmfri.org.in/18881/

Abstract

"उसुधैव कुटुंबकम", एक संस्कृत वावनांश है जिसका अर्थ है "दुनिया' एक परिवार है। यह प्राचीन भारतीय कहावत यह विचार व्यास करती है के पूरी दुनिया आपस में जुड़ी हुई है और सभी लोग एक ही वैश्कि परिवार का हिस्सा है। यह सार्वभौमिक भाईचारे की बात कराता है और इस विचार को बढ़ावा देता है कि हमें हर किसी के साथ दयालुता और सहानुभूति के साथ व्यावहार करना चाहिए, चाहे उनकी राष्ट्रीयता, नस्ल या धर्म कुछ भी हो। इसका उपयोग अक्सर तिभित्र संस्कृतियों और राष्ट्रों के बीच वैश्विक शांति और समझा के महत्व पर और देने के लिए किया जाता है। यह विवार हमें सिखाता है कि पृथ्वी पर हर कोई एक बंदे तैब्रिक परिधान के सदस्य की तरह है। भारत कर यह प्राचीन वर्शन हमें शांति और मद्भाव का लक्ष्य रखते हा सभी के साथ दवालुता और सम्मान के साथ व्यवहार करना सिखाता है।

Item Type: Article
Depositing User: Arun Surendran
Date Deposited: 21 Jul 2025 06:34
Last Modified: 21 Jul 2025 06:35
URI: http://eprints.cmfri.org.in/id/eprint/19002

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