प्रवाल भित्तियाँ : समुद्र के शानदान जैवविविधता हॉटस्पॉट

Anto, Alvin and Sreenath, K R (2021) प्रवाल भित्तियाँ : समुद्र के शानदान जैवविविधता हॉटस्पॉट. मत्स्यगंधा : भा कृ अनु प - केंद्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान की अर्थ वार्षिक राजभाषा गृह पत्रिका Matsyagandha, 9. pp. 7-13.

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Official URL: http://eprints.cmfri.org.in/15953/

Abstract

महासागर के उष्‍णकटिबंधीय अक्षांशों को समुद्र के रेगिस्‍तान के रूप में जाना जाता है, क्‍योंकि ये स्‍थलीय रेगिस्‍तानों के समान बंजर स्‍थान हैं। इस घटना का कारण यह है कि उष्‍णकटिबंधीय समुद्र गरम होते हैं, ये नीचे ठंडे पानी के ऊपर तैरते हैं। यह पोषक तत्‍वों को गहराई से ऊपर लाने से रोकता है, जो पोषक तत्‍वों को समुद्र की सतह तक लाता है। उष्‍णकटिबंधीय समुद्रों में सामान्‍य तौर पर जीवन की कमी के लिए प्रवाल भित्तियॉं एक शानदार अपवाद हैं। अगर हम प्रवाल भित्तियों के क्षेत्र पर विचार करते हैं, तो यह विश्‍व के महासागर का केवल 3% है, फिर भी यह विभिन्‍न प्रकार के समुद्र जीवों का आवास स्‍थान है। पूरे समुद्रीपारिस्थितिक तंत्र में प्रवालभित्तियों में प्रति इकाई क्षेत्र में सबसे असाधारण जैवविविधता है। यह अनुमान लगाया गया था कि सभी प्रजातियों में से लगभग 4-5% या लगभग 91,000 प्रजातियॉं प्रवाल भित्तियों पर पायी जाती हैं। हालांकि प्रवाल ध्रुवीय और समशीतोष्‍ण जल में पाए जाते हैं, केवल उष्‍णकटिबंधीय स्‍थानों में प्रवाल भित्तियों का विकास होता है। मुख्‍यतः दो प्रकार के प्रवाल होते हैं, जोकि हेर्माटिपिक प्रवाल, जो प्रवाल भित्तियॉं बनाते हैं (चित्र 1) और एहेर्माटिपिक प्रवाल, जो प्रवाल भित्तियॉं नहीं बनाते हैं (चित्र 2)। एहेर्माटिपिक प्रवालों का विश्‍व भर में वितरण होता है, लेकिन हेर्माटिपिक प्रवाल केवल उष्‍णकटिबंधीय स्‍थानों में पाए जाते हैं।

Item Type: Article
Subjects: Marine Ecosystems > Coral Reefs
Marine Biodiversity
Divisions: CMFRI-Kochi > Marine Biodiversity Division
Subject Area > CMFRI > CMFRI-Kochi > Marine Biodiversity Division
CMFRI-Kochi > Marine Biodiversity Division
Subject Area > CMFRI-Kochi > Marine Biodiversity Division
Depositing User: Arun Surendran
Date Deposited: 02 Jun 2022 09:40
Last Modified: 02 Jun 2022 10:43
URI: http://eprints.cmfri.org.in/id/eprint/15962

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