नीली क्रांति के प्रसंग में समुद्री संवर्धन की भूमिका

Imelda, Joseph and Aswathy, N (2019) नीली क्रांति के प्रसंग में समुद्री संवर्धन की भूमिका. मत्स्यगंधा अंक.5 जुलाई-दिसंबर 2019 (Matsyagandha July-December 2019), 5. pp. 7-13.

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    Abstract

    विश्व की आबादी वर्ष 2050 तक खाद्य और प्रोटीन के स्रोतों की काफी मांग बनाती हुई 9.6 बिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है। यह आकलित किया गया है कि 3 बिलियन लोग प्राथमिक प्रोटीन स्रोत के रूप में समुद्री खाद्य पर निर्भर करते हैं और दनिय की आबादी का 10 या 12 प्रतिशत आजीविका के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से समुद्री खाद्य पर निर्भर करता है। जलजीव पालन वश्विै क बाज़ारों में 58 प्रतिशत मछली की आपूर्ति करता है (एफ ए ओ 2016), इसलिए इस क्षेत्र को विकसित करने से खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक समावेश भी हो सकता है। वश्विै क तौर पर समुद्री खाद्य उत्पादों की बढ़ती रही मांग की वजह से प्राकृतिक मछली स्टॉक पर गंभीर रूप से दबाव महसूस हुआ है और यह अनुमान किया गया है कि प्राकृतिक मछली स्टॉक के 88 प्रतिशत का पूरी तरह विदोहन किया गया है या इनका अतिविदोहन हो चुका है। जबकि मछली पालन के माध्यम से इस समस्या का कु छ हद तक समाधान हो जाएगा, लेकिन पालन प्रक्रिया में भी पारिस्थितिक तंत्र के विनाश, कृत्रिम निवेश, खाद्य एवं अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़ी हुई टिकाऊपन की चुनौतियों का सामना करता है।

    Item Type: Article
    Uncontrolled Keywords: Matsyagandha
    Subjects: Hindi Publications
    Divisions: CMFRI-Kochi > Mariculture Division
    Subject Area > CMFRI > CMFRI-Kochi > Mariculture Division
    CMFRI-Kochi > Mariculture Division
    Subject Area > CMFRI-Kochi > Mariculture Division
    Depositing User: Arun Surendran
    Date Deposited: 27 Oct 2023 08:23
    Last Modified: 27 Oct 2023 08:23
    URI: http://eprints.cmfri.org.in/id/eprint/17555

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